जबलपुर से 76 Km दूर डिंडोरी जिले में स्थित घुघुआ जीवाश्म नेशनल पार्क एक खास स्थान है। कान्हा से बांधवगढ़ जाने वाले पर्यटक एक बार यहां जरूर रुकते हैं। यहां पर साढ़े 6 लाख वर्ष पुराने पेड़ों के जीवाश्म अमूल्य धरोहर के रूप में मौजूद हैं। ताड़ के वृक्षों के जीवाश्वम बेहद खास हैं, क्योंकि मध्य भारत में इस तरह के पेड़ नहीं पाए जाते हैं। 1970 में यहां जीवाश्म की खोज की गई थी। घुघुआ जीवश्म पार्क को नेशनल पार्क घोषित किया गया था। 18 वनस्पति परिवारों के 31 प्रजातियों से संबंधित वनस्पति जीवाश्मों की पहचान यहां की गई है। ये जीवाश्म 40 मिलियन और 150 मिलियन वर्ष पहले मौजूद थे। यहां पर पेड़ों, पत्तियों, क्लेमर्स और फूल, फल, बीजों के जीवाश्मों के कांच के शोकेस में संरक्षित किया गया है। इन सभी के बारे में जानकारी दी गई थी। ये जीवाश्म बेहद खास हैं और धरती के इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानकारी देते हैं।
इनसे भारत के वनस्पतियों के इतिहास की भी जानकारी मिलती है।पार्क के बारे में कहा जाता है कि यहां करोड़ों साल पहले अरब सागर हुआ करता था। प्राकृतिक परिवर्तन की वजह से पेड़ से पत्ते तक जीवाश्म में परिवर्तित हो गए। घुघवा नेशनल पार्क में डायनासौर के अंडे के जीवाश्म देखने मिलते हैं। सही समय पर बाहर ना आने और प्राकृतिक परिवर्तन के चलते ये पत्थर में परिवर्तित हो गए हैं